लो फिर आ गया चुनाव,
चारों ओर मंची कांव-कांव ।
हो गयी यह लोकसभा भंग ,
विरोधियों में होली का हुडदंग।
चुनाव कर रहा है हमें तंग ,
अब होगी राजनैतिक जंग ।
चुनाव ने तो एक मुसीबत दे डाला,
पर हमने पार्टी का मोर्चा संभाला ।
बनाकर नया चुनावी अजेंडा,
चल पड़े,लेकर हाथ-में पार्टी का झंडा ।
जनता के बीच हम जायेंगे,
अपना अल्लख जगायेंगे ।
मीठी-मीठी बातों से बहलाएँगे,
बनके मेनका,वोटर पटायेंगे ।
भाषण लुभावने होंगे ,
बड़े-बड़े वादे होंगे ।
काम अधूरे, पूरे होंगे,
जब हम मंत्री बनेंगे ।
हमें वोट दे दो भईया,
देखो तो भूखी खडी है तेरी गईया ।
सड़क भी है उजड़ी, सुख
गई है ताल-तलैया ।
नेता ये जो तुम्हारा है,
चारा,अलकतरा,रुपैया,
न जाने क्या-क्या खा रहा है ?
अपनी ही दुकान चला रहा है,
घोटाले खूब करा रहा है ।
अब न गरीबी,ना बेरोजगारी,
खुशहाल होगी दुनिया तुम्हारी ।
मूल्य पर भी होगा रोक,
मिले जो मुझे आपका वोट ।
आपके द्वार हम आयें हैं,
वादे अच्छे-अच्छे लायें हैं ।
आपसे-ही आश लगायें हैं,
कब आप हमारी भाग्य जगाएं ?
क्या दर से तेरे, निराश ही लौट जाएँ ?
हाय ! कितने मिन्नतें कियें हमने,
कोई ना सुने हमारी ।
कैसी फैली हुई-है महामारी ।
क्या जोड़-तोड़ लगायें ?
कैसे वोट जुटायें ?
की सरकार बने हमारी,
और हम करें राज-सवारी ।
कुछ उपाय सुझावों यारों,
कोई चाल बतावो यारों ।
जनता हमपर हो मेहरबान,
बहुमत जुटाना हो आसान ।
और, विरोधी भी ना करें परेसान ।।
काश ! एक बार (२)
सरकार बन जाये हमारी,
और हम हों जाएँ मंत्री ।
फिर कैसा होगा नज़ारा,
जनता पर जब, राज होगा हमारा ।
रजवाड़े से होंगे तामझाम,
जिंदगी में होगी फिर, ऐश-औ-आराम ।
हमारे लिए ही सब करेंगे काम,
जैसे बीवी और गुलाम ।
ख़ुशी में गाना तब गायेंगे,
लुट-पाट चारों-ओर मचाएंगे ।
जनता की खायेंगे,
जनता के गुण गायेंगे ।
जनता तो बेचारी है,
थोडा पछताएगी,और
पांच साल में सब-कुछ भूल जायेगी ।
ये कहानी फिर
दुहरायी जायेगी
झांसे में फिर वह आएगी ।
कल हम हों ना हों, साथी हमारे आयेंगे,
राग वही पुराने, फिर दोहरायेंगे ।
क्योंकि जमाने का यही दस्तूर है,
नेता तो अपने आदत से मजबूर है ।