आग इस कदर दबाए बैठे हैं

पर्वत उठाए बैठे हैं,
समंदर समाए बैठे हैं               |
कठोर सीने की गहराईयों में,
आग इस कदर दबाए बैठे हैं     ||

आवाज उतर आती है आँखों से,
जो कई सवाल छुपाए बैठे हैं     |
तौलता नहीं जिंदगी औ रिश्तों को,
कई तो हिसाब लगाये बैठे हैं     ||

मयस्सर नहीं तन को, आँतों को,
गिद्ध नोचने को, आँख गडाए बैठे हैं  |
जाने किसके अरमानों की कब्र पर,
वो देखो, ताजमहल सजाए बैठे हैं     ||

खुल न जाए, असलियत हमारी-तुम्हारी ,
दिखावटी मुखौटे, हिजाब लगाए बैठे हैं  |
मैल जाती नहीं, मन, कर्म, वचन से,
वो भी, तन से नहाए बैठे हैं                 ||

राम, बुद्ध, महावीर, नानक के वंशज,
क्यूं घरों में, सीता-द्रौपदी छुपाए बैठे हैं   |
इस बार जल जाए रावण, जहाँ कहीं हो,
क्यों ऊपरवाले को, मशऱूफ बनाए बैठे हैं  ||

खुद का विश्वास कहाँ डिग गया,
जो हालात से डगमगाए बैठे हैं      |
रौशनी निकल के आयेगी कभी तो,
क्यूँ करके दरवाजे बन्द, पर्दे गिराए बैठे हैं  ||

हेलमेट प्रकरण

फिर कुंभकर्णी नींद से परिवहन विभाग जागा
शहर के डीसी महोदय का जो फरमान आया
प्रशासन ट्रैफिक नियमों पर सख्ती दिखायेगी
बिना हेलमेट वालों की चलान काटी जायेगी .

समाहरणालय से, नियमों का,
पूरा ब्यौरा आ चूका है
लापरवाह ढुलमुल नीति वालों का
पूरा महकमा मुस्तैद हो चूका है .

धूल फाँकते, किसी कोने में पड़े
हेलमेट को, मिसेज ने खूब चमकाया
ऑफिस जाते वक्त, आदेश के साथ
टिफिन की जगह, हेलमेट थमाया .
ए जी ! अब तो थोडा शर्माइये
मुन्ने की स्कूल फीस जुर्माने में भर आये हो
अब और घर का बजट बिगडने ना देंगें
बंदर लगो या भालू, अब इसे ही पहन कर जाईये .

यूँ तो हालात बेहद खराब है
ट्रैफिक का अपना दर्द बेहिसाब है
नियमों के विटामिन के अभाव मे
दुबली होती चौडी सड़के भी
हर चौक चौराहों, बाजारों में वाहनों से पटीं
चील पों करती, रेंगती सड़कें भी .

हम पब्लिक भी कम हैं क्या
जरा गिरेबाँ में झांकिये, अतित खंगालिए
नियम ना तोडा हो, कोई दिन हो ऐसा याद
शान से सिग्नल भी लांघें, ऐसे समझदार
बिना हेलमेट, तेज वाहन, या हों तीन सवार
नियमों को तोड़, बनते हैं होशियार .

अपने घरों में सारे,
नियम कायदे अपनाते हैं .
बसों, ट्रेन, सड़कों, बाजारों में
फिर क्यों, लापरवाह असभ्य हो जाते हैं .

जो सही नहीं किसी नजर से
बेशक वो हालात - वो मंजर बदले
नियमों का पालन किसी डर से नहीं
स्वभाविक अंतर्मन से होनी चाहिए .

क्यूँ बजे ताली केवल एक हाँथ से
दोनों हाँथ उठे, तो कुछ बदले
तालाब तब्दील सड़कों पे रहम धरिये
जेब ही नहीं, गड्ढे भी भरनी चाहिये .